Thought by heart : मन का विचार 7

Only parents are who spend their Money on their Children,

Without any expectations of loss or profit, otherwise

Everyone in this World is very calculated with this matter.

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Thought by heart : मन का विचार 6

इन्हें भी पसन्द है बराबर की टक्कर मिलना,

हर दरवाजे पर दस्तक नही देती,

ये मुसीबतें, ये चुनौतियां। 

मन का विचार 2: नारी #Women’s strength

नारी
वो सुबह-शाम का हिसाब रखती
वो दिन-रात के गणित को हल करती
वो घर के कोने-कोने को नापती
वो बच्चों की क्रिया-प्रतिक्रिया को परखती
सबके कहे-अनकहे शब्दों के व्यंजकों को समझती
वो अंदर-बाहर की आलोचना-समालोचना का आंकलन करती
वो अर्थव्यवस्था को सम्हालती
वो पास-पड़ोस में सामाजिकता को निभाती
वो सबके वक्त से अपना वक्त मिलाती
पर भूल जाती
वो अपने हिस्से के वक्त का हिसाब रखना।

नदी-जब तुम नही रहोगी: #environment day special

नदी: जब तुम नहीं रहोगी
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नदी
हमारी लगातार गलतियों से जब
एक दिन जब तुम नहीं रहोगी
तुम्हारे किनारे की हरियाली भी नहीं रहेगी
शीतल हवा भी नहीं बहेगी
तुम्हारे आंचल में वो चिकने पत्थर भी नहीं रहेंगे
तुम्हारे गर्भ में पल रहे वो जीव-जंतु भी नहीं रहेंगे
तुम्हारे बहने की वो संगीतमयी आवाज भी नहीं रहेगी
फैक्ट्रियों का ढेर कचरा और गंदा पानी हम ऐसे ही तुम में फेंकते रहे तो
नदी, एक दिन तुम नहीं रहोगी
जब तुम नहीं रहोगी, तुम्हारी बहुत याद आएगी
तुम्हारे ना रहने से, हम भी कितने दिन जिंदा रह पाएंगे।
नदी : जब तुम नही रहोगी।

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मन का विचार 1: परछाई, काँच, दोस्त

“जीवन में कुछ दोस्त काँच और परछाई जैसे रखो क्योंकि काँच कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोड़ती।”
अक्सर फेसबुक पर यह विचार पढ़ने को मिल जाता है जिसमें दोस्त की तुलना परछाई और काँच से कर इनके जैसे ही दोस्त रखने का विचार लिखा गया है, लेकिन मेरा मानना है कि एक दोस्त या मित्र को परछाई या काँच के जैसा नही होना चाहिए क्योंकि……………….

परछाई हमारे साथ हमेशा नही रहती और जब तक रहती है तब तक पल-पल अपना आकार बदलती रहती है। जब हम दोपहर में कड़ी धूप में होते हैं सूरज ठीक हमारे सर पर होता है तब हमारी परछाई अपना आकार छोटा कर हमारे ही शरीर के पीछे खुद को छुपाती सी नज़र आती है और जब कम धूप में होते हैं मतलब सुबह-शाम तो यह अपना आकार हमारे शरीर से भी बड़ा कर हमारा साथ निभाती नज़र आती है। और अँधेरे में तो सबको मालूम है कि वो कैसे साथ छोड़कर अदृश्य हो जाती है।
और रहा सवाल काँच का तो काँच पारदर्शी होता है, यानी कि सब कुछ आर-पार दिखाई देता है जिससे बचने के लिए हमें अपने घरों में पर्दे लगाने पड़ते हैं या फिर लैमिनेटेड काँच लगवाने पड़ते हैं, सामान्य काँच कोई भी सीक्रेट नही रहने देता, दोस्त ऐसा होना चाहिए जो हमारे राज दुनिया के सामने न खोले। अब बात करते हैं दर्पण यानि आईने की, तो आइना सिर्फ वो दिखाता है जो उसके सामने लाया जाता है, अब चाहे वो मुखौटा वाला चेहरा हो या मेकअप से बनायी गयी सुंदरता या और भी जो कुछ, उसके पीछे का सच वो खुद नही जानता। ऐसा दोस्त आपको आपकी असलियत कभी नही बता सकता।

यह मेरे अपने विचार हैं मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही है।