टैक्स तो सभी भरते हैं साहब…………..
वो बड़ी ही शालीनता के साथ कमरे में अपना काम कर रही थी……..लेकिन उसे सिर्फ इस वजह से बेशर्म और अमर्यादित होने के ताने सुनने पड़ रहे थे क्योंकि उसने बस घूंघट नही किया हुआ था……..और कमरे से लगे हुये आँगन में घर के पुरुष(उसके जेठ जी , ससुर जी )मस्त ठण्डी हवा का आनन्द ले रहे थे, क्योंकि गर्मी है ना। 45डिग्री के तापमान में जहाँ किसी से बिना पंखे के घर में नही रहा जा रहा, जिसमे उसका पूरा शरीर गर्म पानी की तरह उबला जा रहा है और बाकी महिलाओं को उसके घूंघट की पड़ी है………इन महिलाओं को क्या अपने-अपने पतियों पर (जो आँगन में बैठे है) भरोसा नही जो असुरक्षित हुई जा रही हैं कि घर की ही बहू का चेहरा न दिख जाये उन्हें…………… या फिर मर्यादा का इतना ही ख्याल है तो क्या उन मर्दों को एक वही जगह है कही और जाकर नही बैठ सकते मौसम का मजा लेने के लिए………………. वो आँगन घर की बहुओं के लिए छोड़ दे जिसमे वो भी अपने पसीने से तर बालोँ में थोड़ी हवा लगा लें। उसे क्या लोहे का बना हुआ समझा है, चलो भई लोहे की ही सही लेकिन इतनी गर्मी में तो लोहा भी पिघल जाये…….और जब लोहा पिघलता है तो सभी जानते हैं कि वो एक नई संरचना में नवनिर्मित हो जाता है………..और अब वो पिघलकर नए रूप में ढल जाये तब भी सबको समस्या…………. ये महान मर्द भी वो हैं जो fb पर वाहवाही पाने के लिए महिलाओं के विकास की, हर मामले में महिलाओं को आगे लाने की दूसरों को सलाह देते फ़ोटो डालते नजर आते हैं। अपनी गांव से लेकर बड़े शहरों और विदेशों तक जाने की तरक्की बताते हैं। और दूसरा चेहरा ये है उनका या उनके गांव का कुछ भी कह सकते हैं………..
साहब जो गर्मी आपसे सहन नही हो रही आपके लिए जबकि बाहर हजार रास्ते हैं आप कही भी घर के बाहर जाकर खुली हवा में साँस ले सकते हो………….उसके लिए सिर्फ वही एक आँगन और छत है जहाँ वो चैन की साँस ले सकती है………… या…….. फिर ये घूंघट,पर्दा सब परम्पराओं को बन्द कर एक स्वस्थ मानसिकता वाला घर भी वहां बनाया जा सकता है।………….
(क्योंकि ये जो हर एक साँस लेकर अपनी जिंदगी की हर एक साँस कम करने का टैक्स प्रकृति को आप दे रहे हैं……ठीक बराबर से वो भी उतना ही टैक्स भर रही है इसलिए प्रकृति की हर साँस का हर मौसम का उसे भी उतनी ही आजादी से उपयोग करने का हक है, वो कमरे के अंदर घुटन भरी साँस क्यों ले। )
सभी की जिंदगी एक समान कीमती है।
देश के कई गाँवो की स्थिति।
बहुत ही सच्ची और सही बात कही है आप ने
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यथार्थ चित्रण किया है। बधाई
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